Sunday, March 27, 2011

गर ज़माने को

गर ज़माने को जज़बात की क़ीमत होती,
तो प्यार करने में न कोई मुसीबत होती,
बजाए आशिक़ों को यूँ धुतकारे,
मुहब्बत की सबने दी नसीहत होती|

- मुश्ताक़

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