Tuesday, March 15, 2011

मरने की जलदी

यहाँ ग़रीब को मरने की जलदी इसलिये भी है ग़ालिब,
कहीं ज़िन्दगी की कशमकश में कफ़न महँगा ना हो जाये

- मिर्ज़ा ग़ालिब

No comments:

Post a Comment