Wednesday, October 30, 2013

Far off rumbles

I hear the far off rumbles,
Words half-formed, feelings yet unborn --
What keeps me glued clueless but taut,
Is the unmistakable aroma of your soul.

- Max

પાણી વગરના સાગરની પરવા ન કર

પાણી વગરના સાગરની પરવા ન કર,
લડ્યા વગર જીવતાજીવ તું મર્યા ન કર.

ઓછું પડે, ધર નો ભેદી ડંખી જશે,
દુધ પાઈને સાપો તું સંધર્યા ન કર.

હાર્યા પછી વાસ્તવિકતા સ્વીકાર તું,
કાયમ હવે સામા પ્રવાહે તરવા ન કર.

તારા નસીબે હશે જો, તો આપી જ દે,
એના બધા દ્વારે તું કરગરવા ન કર.

જીતી જશું, હીંમત રાખ, વ્હાલા પ્રશાંત,
આવે ભલે મુસીબત લાખો, ડર્યા ન કર.

....પ્રશાંત સોમાણી

Morning Raga

गुलाबी ठंड की दस्तक

सुबह सुबह रोम रोम में हरारत सी लगी,
कुछ सिहरन सी, कुछ ठिठुरन भी
खिड़की पर गुलाबी ठंड की दस्तक सुन
पलकें मूँदे ही उठ बैठी मैं, करती कुनकुन
चढ़ा था बुख़ार माथे पर गुमान की तरह
गले में ख़राश थी या ख़लिश थी कोई
नामालूम अदा थी सर्दी की या पहेली कोई
बहरहाल उठना था टूटते बदन को समेटे
मन हुआ कोई सोने को कहदे शाॅल लपेटे
थपकी देकर मन को समझाया मनाया
फ़िर हौले से इक बोसा ख़ुद को ही देकर
चल पड़ी करने नये दिन का इस्तक़बाल

- रचना २९ अक्टूबर २०१३

कबूतर

उस कबूतर ने तुम्हारी खिड़की पर घौंसला नहीं बनाया है,

दरअसल तुम्हारी इमारत जहां है,वहाँ कभी उसका पेड़ था ..!!

#Gulzar

मेरी नज़्म पे जो मचल रहा

मेरी नज़्म पे जो मचल रहा वो हाशिया कोई और है
जो वक़्त की करवट बदल रहा वो वाक़िया कोई और है
मेरी ज़ुबां से निकल पड़ी ये बात तेरे दिल की है
जो ग़ज़ल के भीतर सँभल रहा वो क़ाफ़िया कोई और है
- रचना २८ अक्टूबर २०१३