Sunday, December 12, 2010

यह रूह

यह रूह इन ख़तों की तरह होती है,
वह वक़्त के साथ पीले तो पड़ जाते हैं,
लेकिन रहते वही हैं

- जावेद सिद्दिक़ी, तुम्हारी अमृता

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