Tuesday, December 21, 2010

माथे के पसीने से

माथे के पसीने से महक आये ना जिस की,
वह ख़ून मेरे जिस्म में गरदिश नहीं करता|
हमदर्दी-ए-अहबाब से दरता हूँ मुज़फ़्फ़र,
मैं ज़ख़्म तो रखता हूँ, नुमाइश नहीं करता||

- मुज़फ़्फ़र वारसी

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