Tuesday, August 17, 2010

शरारत

अभी अभी हलकी सी धुन्ध थी,
अभी किसी का परी रुख चहरा उभर आया,
शरारत तेरी है ऐ बादल या मेरे मनचले दिल की?

- मुश्ताक़

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