Thursday, March 18, 2010

जब रात सो जाती है

जब रात सो जाती है,
और मसरूफ़ रूहें
ढूँढ़ती हैं अपनी पहचान,
वह महफ़ूज़ से
सम्भलती है
ज़िन्दगी के अहसान

- नुज़्हत

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