Monday, March 15, 2010

काश दिल को

काश दिल को मेरे ज़ुबाँ अगर होती
तमाम उम्र एक ख़ालिश बयाँ मगर होती,
ख़ाकसे ढेर को कोई न टटोले, पर
यह दकह, यह जलन अयान लहर होती

- मुश्ताक़

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