Thursday, March 18, 2010

लाज आती है

लाज आती है कहने में,
कहीं तुम ग़ुस्सा न हो,
डर लगता है इशारों से,
कहीं तुम ग़लत न पढ़ लो|

वादे तो तब होती हैं जनाब,
जब भी लाज की बातें होती हैं.
इन्तेज़ार में जी लूँ पूरी ज़िन्दगी
इक्रार करने में डर जो लगता है|

- चैत्रा प्रसाद

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