Tuesday, October 13, 2009

यह रिश्ता

जाने अनजाने बन जाता है यह रिश्ता
गाने अफ़्साने बुन लेता है यह रिश्ता
अनजाने में सूखने दे वह महज़ इनसान,
जाने समझे बस जमे रहे वह फ़रिश्ता|
-मुश्ताक़

No comments:

Post a Comment