Thursday, June 24, 2010

तुम्हारी याद

मेरे ख़यालों के मासूम कारवाँ में,
तुम्हारी याद जब डकैती डालती है,
मेरी ज़ुबाँ एक अनजाने सी
मुझे ताकती, घूरती, दाँडती है.

- मुश्ताक़

1 comment:

  1. RGR, it is डांटती है, and not दाँडती है.
    Thanks a million for all the trouble
    you keep taking.
    Hugz

    Max

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