Tuesday, June 1, 2010

मासूम बेदिली

यूँह अधूरापन बख़्शके चले जाना, मुश्किल रहा तो होगा,
दूर अकेलापन, जश्न-ए-दोस्ताना कुछ दिन ख़ला तो होगा,
और तिलस्मी दुनिया तोड़नेवाला भी कोई दिलजला तो होगा

हुस्न जोबन शबाब शरारत निगाहें मुस्कान क्या कुछ नहीं,
इन जादुई असबाब पर भी कोई मिट चला तो होगा,
तुम्हारे प्यार के फ़लक में परवाज़ का आदी है ज़माना,

लगते ही चोट दिल पे अचानक कोई गिर पड़ा तो होगा
दिल कहाँ सब के सिर्फ़ संगतरश ही बनाते हैं 'मुश्ताक़',
तुम्हारी मासूम बेदिली से भी कोई हिल गया तो होगा

- मुश्ताक़

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