Saturday, May 26, 2012
यह जो हम हिज्र में
यह जो हम हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं,
कभी सबा को, कभी नामबर को देखते हैं|
वह आए घर में, हमारे ख़ुदा की कुदरत,
कभी हम उनको कभी अपने घर को देखते हैं|
- मिर्ज़ा ग़ालिब
(I keep staring at the door or window in solitude,
at times the breeze, at times the postman.
Blessed be God's Nature, I look at her (hallucinating),
or sometimes I look at my house (back to reality)).
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