ऐ क़ातिब-ए-तक़दीर क्या है तेरा इरादा,
बता क्या माँग लिया मैंने जो था ज़्यादा,
यह तेरी तंगदिली है या फिर तंगदस्ती,
न दिया कर मुझे नसीब टुकड़ों मे या आधा
- मुश्ताक़
क़ातिब-ए-तक़दीर - writer of destiny
तंगदिली - miserliness
तंगदस्ती - bankruptcy
Sunday, May 27, 2012
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