Friday, June 8, 2012
अब क्या बचा है मेरे ज़हन में
Wednesday, June 6, 2012
Nature is God
cure fastest with sunlight,
vexing prickly heat
gets exorcised by a bath in the first rain.
Nature is God.
- Max
ફૂલૉની દશા
Sunday, May 27, 2012
पुछो तो क्या तलब है
तुम्हें पूज कर भी भटक रहे हैं हम बंजारे,
पुछो तो क्या तलब है मायूस दिलों को,
तुम्हारी एक मुस्कान और बिखर जाएँ ग़म सारे
- मुश्ताक़
क़ातिब-ए-तक़दीर
बता क्या माँग लिया मैंने जो था ज़्यादा,
यह तेरी तंगदिली है या फिर तंगदस्ती,
न दिया कर मुझे नसीब टुकड़ों मे या आधा
- मुश्ताक़
क़ातिब-ए-तक़दीर - writer of destiny
तंगदिली - miserliness
तंगदस्ती - bankruptcy
Earth
The Earth is a hardcore she,
nothing to wear, says she.
And grows green
to shun golden brown.
- MB
Joke
Boss asked a sales guy to start the presentation with a practicle joke to ease the tension.
He showed his pay slip.
Rut
There's a mechanistic timbre beneath the forced rituals and parroted greetings soiled by rolling in a rut. Why can't we chirp or frisk or splash and throw away our watches?
© Max Babi
First rain
The smell of first rain
ups the adrenaline pumping
like the anticipitation of a second kiss.
- MB
Gestalt
Gestalt tells us sum of parts is 'other' than the whole. A dead crow outside -- Apollo Clinic downing shutters forever -- biscuits soggy inside airtight box -- eye-reddening heat pushed aside by wintry chill --and a stranger under a black blanket, curled up on a favourite bench. Life serving a new menu?
- MB
I found you
I found you, capturing life,
painting it on your canvas.
And I stood afar,
holding my beating heart.
Waiting for you to find me.
- P.K.
Saturday, May 26, 2012
Wisdom
helplessly.
- Max
धड़कता ना हो दिल
बिना छेड़छाड़, रूठना, मनाना, जीना क्या चीज़ है,
धड़कता ना हो दिल जिस में वह, सीना क्या चीज़ है
- मुश्ताक़
ग़ैर-मुल्क़ी अशरफ़ियाँ
ग़ैर-मुल्क़ी अशरफ़ियाँ हैं तुम्हारी यादें,
ना तिजारत के लायक, ना फेंकने के क़ाबिल
- मुश्ताक़
ग़ैर-मुल्की अशरफ़ियाँ - foreign coins
तिजारत - commerce
धूप रूप की
दिखती पहले धूप रूप की,
दिखती फिर मट-मैली काया...
दुहारी झलक दिखाकर अपनी,
मोह-मुक्त कर देती माया|
ओशो (सहज-योग)
मेरे इश्क़ से मिली है
मेरे इश्क़ से मिली है,
तेरे हुस्न को यह शोहरत,
तेरा ज़िक्र ही कहाँ था,
मेरी दास्तान से पहले
- अनजान
वजूद-ए-परवाना
शमा तो यूँ ही जलती है, लम्बी याददाश्त से उसे क्या मतलब,
वजूद-ए-परवाना एक लम्हा, उसकी शख़्सियत की क्या हैसियत
- मुश्ताक़
सूखे पत्तों की तरह
सूखे पत्तों की तरह बिखरे थे हम, ऐ यारों,
किसी ने समेटा भी तो सिर्फ़ जलाने के लिए
- अनजान
लफ़्ज़ों के भीड़ में
लफ़्ज़ों के भीड़ में
लेटे रहते हैं चुपचाप एक कोने में
बेज़ुबाँ बिखरे हुए पत्तों की तरह
- नुज़्हत अन्वर
तीन शायर
ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर,
या वह जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो
- ग़ालिब
मस्जिद ख़ुदा का घर है पीने की जगह नहीं,
काफ़िर के दिल में जा वहाँ ख़ुदा नहीं
- इक़बाल
क़फिर के दिल से आया हूँ यह देखके 'फ़राज़',
ख़ुदा मौजूद है वहाँ, उसे पता नहीं
- फ़राज़
रग रग में बिजली सी
रग रग में बिजली सी चमक जाती है,
ज़ीर-शिकस्त उम्मीद भी भड़क जाती है,
याद आता है जब वह रुख-ए-रौशन,
भटकी बहार तक महक जाती है
- मुश्ताक़
ज़ीर-शिकस्त - defeated
रुख-ए-रौशन - glowing face
I feel flashes of lightning in my veins,
my defeated hopes also flare up,
whenever that glowing face rises in memory,
even Spring that lost its way spreads its fragrance
- Mushtaq
जिसमें जितना ज़र्फ़ था
कोई नादान कह रहा है, कोई दाना मुझे,
जिसमें जितना ज़र्फ़ था उतना ही पहचाना मुझे
- अनजान
फिर 'तन्हा' मौत आई...
फिर 'तन्हा' मौत आई...
दबे पाँव सरकती हुई, हौले हौले रेंगती हुई,
नगाड़ों की थाप से गूँजती, जंगल की ख़ामोशी को चीरती हुई
फिर मौत आई...
कलरों की कलाई सी काली, खन्डर की तरह ख़ाली,
लहरों से बदमस्त नोचती, अय्यारों सी चालें सोचती,
फिर मौत आई...
कुछ कुछ अपनों सी अजनबी, कुछ परायों सी मतलबी,
थोड़ी ख़ुद सी वफ़ादार, थोड़ी उदू सी मक्कार,
फिर मौत आई...
मैंने सबब पूछा आने का तो मुझको बहलाने लगी,
क़त्ल करने से पहले कम्बख़्त सहलाने लगी,
मेरे आँसू बहे तो वह मुस्कुराने लगी,
साथ चलने के लिए मुझको मनाने लगी,
बड़ी मुश्किलों से बेअकल मना यह दिल,
है ज़रूरी सफ़र, चलो चलें ठाना यह दिल,
हर दफ़े की तरह अबके धोखा ना दे,
रबता है यही अबके चलो फिर चलें,
मन्ज़िलें हैं कई रास्ता एक मगर,
कर गए कई ज़िन्दगी का सफ़र,
कोई समझा नहीं इस बन्दगी का असर...
फिर आना होगा यहीं लौटकर,
और फिर मौत आएगी यूँ ही दबे पाँव सरकते हुए,
जैसे देखो अभी आई है...
फिर 'तन्हा' मौत आई है...
जीवन
बरच काही शिकवुन जात जीवन,
हसणार्यान्ना रडवुन जात जीवन,
जेवढं जगता येइल तेवढं जगुन घ्यावं,
कारण बरच काही मनात रहते
आणी संपुन जात जीवन...
- अज्ञात
उनकी बातों का नशा
उनकी बातों का नशा पिघला देता है हमें जब,
'अश्क़' बनके जाम छलक जाते हैं तब
- अश्लेशा 'अश्क़'
ख़ामोशी
तुम्हारी ख़ामोशी ने क्या कुछ नहीं कहा,
मेरी ख़ामोशी ने भला कुछ नहीं गहा,
तिलमिलाती ख़ामोशियाँ जब आ टकराईं,
उभर आया एक अजीब सा सन्नाटा
- अनजान
ज़ख़म-ए-जिगर
ज़ख़म-ए-जिगर सा था, यह अफ़साना मेरा,
कैसे मुनासिब था, यूँ रुक जाना मेरा,
ना दुआ ना सलाम, ना कोई अलविदा,
कैसे मु'आफ़िक हो, यूँ मिट जाना तेरा
- मुश्ताक़
बोध गया में
बोध गया में बोध हुआ यह सब को इक दिन जाना,
रह जाती है याद उसी की जिसने ख़ुद को पहचाना
- अनुशा
तेरे आने से पहले
तेरे आने से पहले कब थी ऐसी बात गुलशन में,
बहार आई नहीं लाई हुई मालूम होती है
- अनजान
ज़ुम्बिश-ए-महीनतरीन
ज़ुम्बिश-ए-महीनतरीन भी असर रखती है,
तुम्हारी ख़ुशफ़हमी मेरी बदगुमानी बसर कर सकती है,
न हो अन्धेरा तो उजाले ही हैसियत क्या है,
मेरी बदहाली तुम्हारी ख़ुशहाली को मयस्सर कर सकती है
- मुश्ताक़
ज़ुम्बिश - movement
महीनतरीन - most minute, tiniest
ख़ुशफ़हमी - feel-good belief
बदगुमानी - ill-will
बसर - pass
मयस्सर - wholly effective
अह्ल-ए-ईमान सूरत-ए-ख़ुर्शीद
जहाँ में अह्ल-ए-ईमान सूरत-ए-ख़ुर्शीद जीते हैं,
इधर डुबे उधर निकले, उधर डुबे इधर निकले!
- अनजान
यह जो हम हिज्र में
यह जो हम हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं,
कभी सबा को, कभी नामबर को देखते हैं|
वह आए घर में, हमारे ख़ुदा की कुदरत,
कभी हम उनको कभी अपने घर को देखते हैं|
- मिर्ज़ा ग़ालिब
(I keep staring at the door or window in solitude,
at times the breeze, at times the postman.
Blessed be God's Nature, I look at her (hallucinating),
or sometimes I look at my house (back to reality)).
यादें अगर यादें बनकर रहतीं
यादें अगर यादें बनकर रहतीं,
तो क्या बुरा था सिसकते जाना,
प्यार यह ख़ौफ़नाक नसूर-ओ-नश्तर,
यह चाक-गिरेबान टूटा सा बख़्तर,
यह जान-लेवा इरादों का लश्कर,
यह घुटन यह अन्धेरा बिना रहबर,
यादें अगर यादें बनकर रहतीं,
तो क्या बुरा था भटक जाना
- मुश्ताक़
(work in progress)
नसूर - tumour
नश्तर - gash
चाक-गिरेबान - slashed vest
इश्क़ क्या ख़ाक समझते हैं
इश्क़ क्या ख़ाक समझते हैं, जब ना समझे वफ़ा ना प्यार,
नादानियत चली तीन रोज़, उम्र-ए-दराज़ दिन चार
- मुश्ताक़
शिकायत
उन्हें यह शिकायत है हमसे, कि हम हर किसी को देखकर मुस्कुराते हैं,
नासमझ हैं वह क्या जाने हमें तो हर चहरे में वही नज़र आते हैं
- अनजान
फूलों का क़त्ल
मन्दिर में फूल चढ़ाने गए तो एहसास हुआ
कि पत्थरों की ख़ुशी के लिए फूलों का क़त्ल कर आए हम,
मिटाने गए थे पाप जहाँ वहीं एक और पाप कर आए हम
- अनजान
बादल की अहमियत
तुमसे इज़हार ए मुहब्बत इसलिए नहीं करता फ़राज़,
सुना है बरसने के बाद बादल की अहमियत नहीं रहती!
- फ़राज़
Monday, May 21, 2012
Waiting
I found you capturing life,
painting it on your canvas.
And I stood afar,
holding my beating heart.
Waiting for you to find me.
- P.K.
Confessions
My valley becomes silent
Lost in lonesome years,
I whisper to the leaves
Dipped in weary tears.
Stars were soothing
Devoid of any glare,
My heart still beats
Full of love and care.
The wings are gashed
Go numb in freezing pain,
My heart still has fire
Rearing to rock again.
- Nilambari
Words
Thoughts chatter
in silence
Awake in the dark.
- RGR
Feelings rumble
below cascading words,
imminent quakes.
- MB
Interview
Santa is at Microsoft for a Job interview...
Interviewer: which are the 4 versions of Java?
Santa: Mar Java, Mit Java, Lut Java te Sadke Java...!!!:D
Dineshan
Teacher: Name Gandhiji's Son.
Tamilian student: Dineshan!
Teacher: What Rubbish!
Yangry Tamilian student: Whadd rubbish?!! Phrom KG yonwayrds we haave bin dold daat Gandhiji yiz THE FATHER OF DINESHAN!=D=))
Trouble
Doctor: Ma'am, your heart, lungs,BP - OK. Now, let me see that little thing which gets you ladies in to all kinds of trouble...(shouts) oh... dont strip!! Just show ur tongue.
- Anonymous
Missing you
The obese and the decrepit, the apple-fresh teens and the doddering old Hitlers with limp half-salute - I scrutinized the rolling scene, missing you like a lost limb. Suddenly we were face to face, my heart leapt like a drunken ape and I clamped my jaws shut.
- Max
TEDx Talk
My TEDxTalk on 'Making Sense Of Serendipity' uploaded at YouTube.
http://www.youtube.com/watch?v=M0mWVy4UbgM&feature=youtube_gdata_player
Guilt
Of all our murky inventions, guilt is at once the most devious, the most comic, the most painful.
- John Steinbeck
Voiceless words
People need more tricks from me than a hurried paramour could spin - tissue thin slivers of their time sparkle in my plate, cringing and shrivelling. Often I'm abandoned in barren fields of neglect and uncertainties, holograms with rigid body language mill around me. Voiceless words terrorize my numbness.
- Max
Thursday, May 17, 2012
दिखावे की दोस्ती
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला
- डा. बशीर बद्र
ज़माने का दिवाला
कैसे दरिन्दों को हमने है पाला,
चाक गिरेबान में झाँकने की हिम्मत भी नहीं,
क्यों ना निकले ज़माने का दिवाला
- मुश्ताक़
Thursday, May 10, 2012
Rat and bat
A rat and a bat had a one night stand.
Both of them forgot about it...
why?
Rat gayi bat gayi.
- sms forward
Heal
Be a lamp, a lifeboat, a ladder. Help someone's soul heal. Walk out of your house like a shepherd.
- Rumi
Santa and Banta
Santa complaining about wife's cooking: When I go home, I don't ask my wife ki kya banaya but kya ban jayega!
Banta: When I got married and complained to my in-laws, they said give it two or three months! I asked: For what? Will she improve? They said: No you will get used to her cooking :-p
Patience
Patience is not much about waiting, but it is about how one behaves while waiting.
- Ramesh Rao
Memories
Tucked behind a dozen old trees, are two wooden benches that time forgot. Cinders quietly burn, with dead leaves and twigs, occasional whiffs teasing my nasal buds with pure artistry, shoring up my mind's resolve till expelled by a blasting sneeze. Vague memories of a musical hangover, show up and fade away.
- Max Babi
Monday, February 13, 2012
Ghair mulquee ashrafian
Ghair mulquee ashrafian*
hain tumhari yaaden -
na tijarat@ ke laayak
na phenkne ke quaabil.
© Max Babi
*Foreign coins
@commerce
Shayar
1 shayar shop me jakar bola-"1 Ghilaaf-e-auzar-e-mazza-e-mohabbat, bandish-e-izaafa-e-nasal do." shopkeepr: kya ? Shayar ki wife: kamine ko condom do....