Sunday, July 31, 2011

सारी रात अपने ही नाम की

सारी रात अपने ही नाम की अफ़ीम चखी है तेरे सुर्ख़ लबों से 'तन्हा'
अब होश तो दिल-ए-ख़ुशफ़हम को बहलाने के लिये है

- आशिक़ा 'तन्हा'

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