Sunday, July 18, 2010

दस्तूर-ए-दुनिया

लुटा दूँ दुनिया में सब कुछ हँसकर, और वह मूँह फेर ले,
दस्तूर-ए-दुनिया है, कोई थोप दे कोई झेल ले

- मुश्ताक़

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