Saturday, May 29, 2010

दरार

बहक जाता है दीमाग़, तडप जाता है ज़हन,
नाच उठती हैं नज़रें,
तुम्हारी ख़ामोशी की ज़िद्दी दीवार में एक
दरार दिखने के साथ

- मुश्ताक़

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