यादों में तुम्हारी, सिर्फ़ तुम ही जान फूँक सकती हो,
बातों को हमारी सिर्फ़ तुम ही जान बक्श सकती हो|
सिसकती ज़िन्दगी हो या फिर ज़िन्दा लाश,
आहों में हमारी, सिर्फ़ तुम ही साँस भर सकती हो||
- मुश्ताक़
Sunday, December 19, 2010
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