Hope flies in the feather of a dove,
curls up with the caress of a
'touch-me-not',
hope embraces the faltering
steps of a toddler.
- Nuzhat
Sunday, August 22, 2010
Tuesday, August 17, 2010
दोस्ती
दोस्ती करना इतना आसान है
जैसे मीट्टी पर मिट्टी से मिट्टी लिखना,
लेकिन...
दोस्ती निभाना इतना मुश्किल है
जैसे पानी पर पानी से पानी लिखना
अज्ञात
जैसे मीट्टी पर मिट्टी से मिट्टी लिखना,
लेकिन...
दोस्ती निभाना इतना मुश्किल है
जैसे पानी पर पानी से पानी लिखना
अज्ञात
इलाज-ए-फसुर्दगी
है इश्क़ का फ़ुसून भी इलाज-ए-फसुर्दगी,
ऐ चान्द डूब जा के तबीयत उदास है
अज्ञात
फ़ुसून - जादू (enchantment / magic)
इलाज-ए-फसुर्दगी - treatment of depression
ऐ चान्द डूब जा के तबीयत उदास है
अज्ञात
फ़ुसून - जादू (enchantment / magic)
इलाज-ए-फसुर्दगी - treatment of depression
शरारत
अभी अभी हलकी सी धुन्ध थी,
अभी किसी का परी रुख चहरा उभर आया,
शरारत तेरी है ऐ बादल या मेरे मनचले दिल की?
- मुश्ताक़
अभी किसी का परी रुख चहरा उभर आया,
शरारत तेरी है ऐ बादल या मेरे मनचले दिल की?
- मुश्ताक़
થારો મારો સમ્બન્ધ
થારો મારો સમ્બન્ધ, જને અવવ્રુ હવૅલી, કે બોડી બામણીનુ ખેતર
કદી ના ઠુકે મોરલો, ના ચરકે ચકલી ને ના ફરકે તેતર,
ના પડે પગદન્ડી, ના થાય સંવનન, ને ના થાય વવેતર
- મુશ્તાક
(Our relationship is like a haunted mansion or a widow's farm,
Never a peacock's call nor a sparrow's shit-drop, nor a partridge's bustle,
nor a walking trail, nor cootchie-cooing, nor seeding!
- Max Babi)
કદી ના ઠુકે મોરલો, ના ચરકે ચકલી ને ના ફરકે તેતર,
ના પડે પગદન્ડી, ના થાય સંવનન, ને ના થાય વવેતર
- મુશ્તાક
(Our relationship is like a haunted mansion or a widow's farm,
Never a peacock's call nor a sparrow's shit-drop, nor a partridge's bustle,
nor a walking trail, nor cootchie-cooing, nor seeding!
- Max Babi)
क्या बात है
किताबों के पन्ने पलट के सोचता हूँ, यूँ पलट जाए ज़िन्दगी तो क्या बात है
तमन्ना जो पूरी हो ख़्वाबों में, हक़ीक़त बन जाए तो क्या बात है
लोग मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझे, बिन मतलब कोई आए तो क्या बात है
क़त्ल कर के तो कोई भी ले जाएगा दिल मेरा, कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है
जो शरीफ़ों की शराफ़त में बात न हो, एक शराबी कह जाए तो क्या बात है
ज़िन्दा रहने तक तो खुशी दूँगा सबको, किसी को मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात है
अज्ञात
तमन्ना जो पूरी हो ख़्वाबों में, हक़ीक़त बन जाए तो क्या बात है
लोग मतलब के लिए ढूँढते हैं मुझे, बिन मतलब कोई आए तो क्या बात है
क़त्ल कर के तो कोई भी ले जाएगा दिल मेरा, कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है
जो शरीफ़ों की शराफ़त में बात न हो, एक शराबी कह जाए तो क्या बात है
ज़िन्दा रहने तक तो खुशी दूँगा सबको, किसी को मेरी मौत पे खुशी मिल जाए तो क्या बात है
अज्ञात
Monday, August 9, 2010
आँखें मून्द लूँ
आँखें मून्द लूँ तो एक चहरा नज़र आता है,
आँखें खोल दूँ तो एक सहरा नज़र आता है,
पलक झबक का फासला है सुख और दु:ख के दर्मियाँ,
सलाख़ें मोड़ दूँ तो एक पहरा नज़र आता है
आला दीमाग़ शोला सा दहक उठे जिसका वही,
आँखें मूँद लें तो एक बहरा नज़र आता है
- मुश्ताक़
आँखें खोल दूँ तो एक सहरा नज़र आता है,
पलक झबक का फासला है सुख और दु:ख के दर्मियाँ,
सलाख़ें मोड़ दूँ तो एक पहरा नज़र आता है
आला दीमाग़ शोला सा दहक उठे जिसका वही,
आँखें मूँद लें तो एक बहरा नज़र आता है
- मुश्ताक़
माँ
किताबों से ऊचता मेरा मन, और नीन्द में है माँ,
कभी कभी नीन्द में ही मांझ डले जिसने बरतन,
बीच में ही उठकर साफ़ किये मेरे दान्त,
कभी कंघी की, कधी बसता किया तैयार,
कभी कभी किताबों में भी दिखी है वह,
कभी किताबों से बड़ी हो गई अक्षरों की तरह जो,
सावधान करती रही मुझे हर रोज़,
जैसे सुबह उसे ही बैठना है इमतेहाँ में,
उसे ही हल करना है सवाल तमाम,
और पास होना है अव्वल दर्जे से,
मेरे फ़ेल होने का नतीजा मुझसे बहतर जानती है माँ,
और मैं 'तन्हा' फ़ेल नहीं हो सकती
यह बात मुझे जयदा मानती है माँ
- आशिक़ा 'तन्हा'
कभी कभी नीन्द में ही मांझ डले जिसने बरतन,
बीच में ही उठकर साफ़ किये मेरे दान्त,
कभी कंघी की, कधी बसता किया तैयार,
कभी कभी किताबों में भी दिखी है वह,
कभी किताबों से बड़ी हो गई अक्षरों की तरह जो,
सावधान करती रही मुझे हर रोज़,
जैसे सुबह उसे ही बैठना है इमतेहाँ में,
उसे ही हल करना है सवाल तमाम,
और पास होना है अव्वल दर्जे से,
मेरे फ़ेल होने का नतीजा मुझसे बहतर जानती है माँ,
और मैं 'तन्हा' फ़ेल नहीं हो सकती
यह बात मुझे जयदा मानती है माँ
- आशिक़ा 'तन्हा'
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