मस्त करके मुझे, औरों के मुह् लगा साक़ी
यह करम होश में रहकर नहीं देखे जाते!
- बेनाम
जो सफर इख़्तियार करते हैं,
वह मंज़िलों को पार करते हैं,
बस एक बार चलने का हौसका तो रखिये,
ऐसे मुसाफ़िरों का रस्ते भी इन्तेज़ार करते हैं!
- बेनाम
Thursday, June 24, 2010
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