वरना गुल में इतनी नज़ाकत कहाँ होती
यकीनन तुमने ही उसे छुआ होगा...
वरना झरनों में इतनी रागिनि कहाँ होती
यकीनन तुमने ही कुछ गुनगुनाया होगा...
वरना इन्द्रधनु में इतने रंग कहाँ होते
यकीनन तुमने ही कुछ कमाल किया होगा...
वरना हम भी इतने इश्क़ मिज़ाज कहाँ होते
यकीनन तुमने ही कुछ जादू किया होगा
- शिल्पा देसाई
Sunday, June 27, 2010
Thursday, June 24, 2010
ख़ुद ही से ख़ुद का फ़ासला
ख़ुद को ख़ुद की चाह रही,
ख़ुद से मोहब्बत का हौसला भी रहा,
क़ुरबत भी रही ता-क़यामत ख़ुद ही को पाने की,
'तन्हा' ख़ुद ही से ख़ुद का फ़ासला ता-उम्र रहा
आशिक़ा 'तन्हा'
ख़ुद से मोहब्बत का हौसला भी रहा,
क़ुरबत भी रही ता-क़यामत ख़ुद ही को पाने की,
'तन्हा' ख़ुद ही से ख़ुद का फ़ासला ता-उम्र रहा
आशिक़ा 'तन्हा'
तीखी सी दिल्लगी
क़रीब रहें वह तो महक जाये ज़िन्दगी,
फरेब करें वह तो दहक जाये बन्दगी,
क़लम में उनकी जो जादू है, ज़ुबाँ में कहाँ,
देते हैं सबक वह करके तीखी सी दिल्लगी
- मुश्ताक़
फरेब करें वह तो दहक जाये बन्दगी,
क़लम में उनकी जो जादू है, ज़ुबाँ में कहाँ,
देते हैं सबक वह करके तीखी सी दिल्लगी
- मुश्ताक़
शिद्दत
इतनी शिद्दत से तुम्हें पाने की कोशिश की है
के सारी कायनात ने
मुझे तुमसे मिलाने की साज़िश की है!
अज्ञात
के सारी कायनात ने
मुझे तुमसे मिलाने की साज़िश की है!
अज्ञात
तुम्हारी याद
मेरे ख़यालों के मासूम कारवाँ में,
तुम्हारी याद जब डकैती डालती है,
मेरी ज़ुबाँ एक अनजाने सी
मुझे ताकती, घूरती, दाँडती है.
- मुश्ताक़
तुम्हारी याद जब डकैती डालती है,
मेरी ज़ुबाँ एक अनजाने सी
मुझे ताकती, घूरती, दाँडती है.
- मुश्ताक़
Trees
The uphill climb
with a whispering sun
refreshes.
A lane of young trees
sway like kids left alone.
One tall, geriatric,
leafless stalk,
tied to a shorter one
has grown bent.
Landlady barren,
maidservant fecund,
implies the blooming stump.
- Max
with a whispering sun
refreshes.
A lane of young trees
sway like kids left alone.
One tall, geriatric,
leafless stalk,
tied to a shorter one
has grown bent.
Landlady barren,
maidservant fecund,
implies the blooming stump.
- Max
Thorns
If you desire to blossom
like a rose in the garden,
You have to learn the art
of adjusting with the thorns!
- Anonymous
like a rose in the garden,
You have to learn the art
of adjusting with the thorns!
- Anonymous
Butterflies
Butterflies dancing
in the summer breeze.
No ugly crease
on its gossamer wings.
Is this why they are
short-lived?
- Nuzhat
in the summer breeze.
No ugly crease
on its gossamer wings.
Is this why they are
short-lived?
- Nuzhat
Two forwards
मस्त करके मुझे, औरों के मुह् लगा साक़ी
यह करम होश में रहकर नहीं देखे जाते!
- बेनाम
जो सफर इख़्तियार करते हैं,
वह मंज़िलों को पार करते हैं,
बस एक बार चलने का हौसका तो रखिये,
ऐसे मुसाफ़िरों का रस्ते भी इन्तेज़ार करते हैं!
- बेनाम
यह करम होश में रहकर नहीं देखे जाते!
- बेनाम
जो सफर इख़्तियार करते हैं,
वह मंज़िलों को पार करते हैं,
बस एक बार चलने का हौसका तो रखिये,
ऐसे मुसाफ़िरों का रस्ते भी इन्तेज़ार करते हैं!
- बेनाम
Truth!
I hv a right 2b
unhappy, frustratd
evn disgustd.Not
an actor whose
mask won't peel
off nor a zealot
who adopts a
worm's eye view,
nor a scoundrel
who could
kill protectng
imagind lines on
maps. I'd rather kill
honor than go for
honor-killing. I'll be
despised by all,as I
jst can't take
sides. Truth!
- Max Babi
unhappy, frustratd
evn disgustd.Not
an actor whose
mask won't peel
off nor a zealot
who adopts a
worm's eye view,
nor a scoundrel
who could
kill protectng
imagind lines on
maps. I'd rather kill
honor than go for
honor-killing. I'll be
despised by all,as I
jst can't take
sides. Truth!
- Max Babi
Friday, June 4, 2010
आँसू
मत मारो पानी में पत्थर, उस पानी को भी कोई पीता होगा,
मत बहाओ आँखों से आँसू, क्योंकि, इन्हें देखकर भी कोई जीता होगा
- मुश्ताक़
मत बहाओ आँखों से आँसू, क्योंकि, इन्हें देखकर भी कोई जीता होगा
- मुश्ताक़
मेरी तन्हाई
कुछ इंच लम्बी होती मीठी सी मुस्कुराहट,
कुछ तीन-चार डज़न कड़वी सी शिकायत,
मिलकर भी नहीं फ़नाह होती मेरी तन्हाई,
बरा-ए-करम मेरा अक्स लौटाते जाना बाशराफ़त
- आशिक़ा 'तन्हा'
कुछ तीन-चार डज़न कड़वी सी शिकायत,
मिलकर भी नहीं फ़नाह होती मेरी तन्हाई,
बरा-ए-करम मेरा अक्स लौटाते जाना बाशराफ़त
- आशिक़ा 'तन्हा'
Tuesday, June 1, 2010
लहजे का करिशमा
लहजे का करिशमा है या आवाज़ का जादू,
वह बात भी कह जाए, मेरा दिल भी दुखे ना!
- जान निसार अख़तर
वह बात भी कह जाए, मेरा दिल भी दुखे ना!
- जान निसार अख़तर
ग़म
ज़िन्दगी का राज़ तन्हाई में पा लिया,
जिस का भी ग़म मिला अपना बना लिया,
ग़म अपना सुनाने को जब न मिला कोई तो,
आईना रख के खुद को सुना लिया
- लेखक अज्ञात
जिस का भी ग़म मिला अपना बना लिया,
ग़म अपना सुनाने को जब न मिला कोई तो,
आईना रख के खुद को सुना लिया
- लेखक अज्ञात
પ્રણય
વ્યર્થ દુનિયા મા પ્રણય ને આંધલો કહેવય છે,
તૂ નયન સામે નથી તૉ પણ મને દેખાય છે!
- બેફામ
(Uselessly love is maligned as blind,
you're not in front of my eyes, yet I can see you!
- translated by Max)
તૂ નયન સામે નથી તૉ પણ મને દેખાય છે!
- બેફામ
(Uselessly love is maligned as blind,
you're not in front of my eyes, yet I can see you!
- translated by Max)
The truth
The truth is never
black nor white,
nor square nor round,
nor cubic nor pyramidic,
nor an army of red ants
nor a clutch of clucking hens.
Nor a stutter of a gun
nor deadly looks.
It's a momentary whorl
in a placid sea,
a sudden chill
on a torrid afternoon.
A leftover patch
from a faded dream.
An inking denied.
- Max
black nor white,
nor square nor round,
nor cubic nor pyramidic,
nor an army of red ants
nor a clutch of clucking hens.
Nor a stutter of a gun
nor deadly looks.
It's a momentary whorl
in a placid sea,
a sudden chill
on a torrid afternoon.
A leftover patch
from a faded dream.
An inking denied.
- Max
Twenty-four hours
Eight hours in prison,
being somebody you are not.
Another eight hours,
you fight emotional cobwebs
spurting from a deep knowing well.
And last eight hours
your petite mind shuts
under sheets of pure fatigue.
Who'll envy you but
a masochistic poet?
- Max
being somebody you are not.
Another eight hours,
you fight emotional cobwebs
spurting from a deep knowing well.
And last eight hours
your petite mind shuts
under sheets of pure fatigue.
Who'll envy you but
a masochistic poet?
- Max
मासूम बेदिली
यूँह अधूरापन बख़्शके चले जाना, मुश्किल रहा तो होगा,
दूर अकेलापन, जश्न-ए-दोस्ताना कुछ दिन ख़ला तो होगा,
और तिलस्मी दुनिया तोड़नेवाला भी कोई दिलजला तो होगा
हुस्न जोबन शबाब शरारत निगाहें मुस्कान क्या कुछ नहीं,
इन जादुई असबाब पर भी कोई मिट चला तो होगा,
तुम्हारे प्यार के फ़लक में परवाज़ का आदी है ज़माना,
लगते ही चोट दिल पे अचानक कोई गिर पड़ा तो होगा
दिल कहाँ सब के सिर्फ़ संगतरश ही बनाते हैं 'मुश्ताक़',
तुम्हारी मासूम बेदिली से भी कोई हिल गया तो होगा
- मुश्ताक़
दूर अकेलापन, जश्न-ए-दोस्ताना कुछ दिन ख़ला तो होगा,
और तिलस्मी दुनिया तोड़नेवाला भी कोई दिलजला तो होगा
हुस्न जोबन शबाब शरारत निगाहें मुस्कान क्या कुछ नहीं,
इन जादुई असबाब पर भी कोई मिट चला तो होगा,
तुम्हारे प्यार के फ़लक में परवाज़ का आदी है ज़माना,
लगते ही चोट दिल पे अचानक कोई गिर पड़ा तो होगा
दिल कहाँ सब के सिर्फ़ संगतरश ही बनाते हैं 'मुश्ताक़',
तुम्हारी मासूम बेदिली से भी कोई हिल गया तो होगा
- मुश्ताक़
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