ज़िन्दगी के टेढ़े तराज़ू में
एक तरफ़ झूठ की बुनियाद पर खड़ी इमारतें
तो दूसरी तरफ़ क़तरे क़तरे को मॊहताज ईमान
मुश्ताक़
زندگی کے ٹیڑھے ترازو میں
ایک ترف جھوٹھ کی بنیاد پر کھڑی یمارتےں
تو دوسری ترف قترے قترے کو محتاج ایمان
مشتاق
Monday, March 1, 2010
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