Boorish men and
somnambulistic women -
our human history.
- Max
Sunday, March 28, 2010
Silence
Your words sparkle,
scintillate and fade away -
but your silence
like dark matter
heavily lingers on.
- Max
scintillate and fade away -
but your silence
like dark matter
heavily lingers on.
- Max
Prerna
Pretty Prerna,
prevarication-
prone,
previously prattled
prologues, primly
printing prognostic
predictions.
Provost Pritchard
prevented
proclamation :'
- Max
prevarication-
prone,
previously prattled
prologues, primly
printing prognostic
predictions.
Provost Pritchard
prevented
proclamation :'
- Max
Neha
Nifty Neha nullifies
nitwits. Nerds 'n
nincompoops
never need nuptial
negotiations, 'n
Neha nets nettled
newts.
- Max
nitwits. Nerds 'n
nincompoops
never need nuptial
negotiations, 'n
Neha nets nettled
newts.
- Max
Songs
Don't know if I'm a
heart-broken
canary trilling
away or an injured
cat yeowling. But
half my songs are
intrinsic. The
others are
triggered.
- Max
heart-broken
canary trilling
away or an injured
cat yeowling. But
half my songs are
intrinsic. The
others are
triggered.
- Max
Thursday, March 18, 2010
भूले हैं रफ़ता रफ़ता
भूले हैं रफ़ता रफ़ता उन्हें मुद्दतों में हम,
किश्तों में ख़ुदख़ुशी का मज़ा हमसे पूछिये|
- आशिक़ा 'तन्हा'
किश्तों में ख़ुदख़ुशी का मज़ा हमसे पूछिये|
- आशिक़ा 'तन्हा'
जब रात सो जाती है
जब रात सो जाती है,
और मसरूफ़ रूहें
ढूँढ़ती हैं अपनी पहचान,
वह महफ़ूज़ से
सम्भलती है
ज़िन्दगी के अहसान
- नुज़्हत
और मसरूफ़ रूहें
ढूँढ़ती हैं अपनी पहचान,
वह महफ़ूज़ से
सम्भलती है
ज़िन्दगी के अहसान
- नुज़्हत
लाज आती है
लाज आती है कहने में,
कहीं तुम ग़ुस्सा न हो,
डर लगता है इशारों से,
कहीं तुम ग़लत न पढ़ लो|
वादे तो तब होती हैं जनाब,
जब भी लाज की बातें होती हैं.
इन्तेज़ार में जी लूँ पूरी ज़िन्दगी
इक्रार करने में डर जो लगता है|
- चैत्रा प्रसाद
कहीं तुम ग़ुस्सा न हो,
डर लगता है इशारों से,
कहीं तुम ग़लत न पढ़ लो|
वादे तो तब होती हैं जनाब,
जब भी लाज की बातें होती हैं.
इन्तेज़ार में जी लूँ पूरी ज़िन्दगी
इक्रार करने में डर जो लगता है|
- चैत्रा प्रसाद
Monday, March 15, 2010
साया
दु'आ मेरी वह साया है तुम्हारा,
जो मौसम की बेतुकी हरकतों
का मोहताज नहीं
This is Max's Benediction to me!
जो मौसम की बेतुकी हरकतों
का मोहताज नहीं
This is Max's Benediction to me!
यह अश्क़ नहीं
यह अश्क़ नहीं, यह मेरी रुह का पसीना है,
जिहाद जो पुकारी है उसने मेरी अधूरी इनसानियत पे
- मुश्ताक़
जिहाद जो पुकारी है उसने मेरी अधूरी इनसानियत पे
- मुश्ताक़
काश दिल को
काश दिल को मेरे ज़ुबाँ अगर होती
तमाम उम्र एक ख़ालिश बयाँ मगर होती,
ख़ाकसे ढेर को कोई न टटोले, पर
यह दकह, यह जलन अयान लहर होती
- मुश्ताक़
तमाम उम्र एक ख़ालिश बयाँ मगर होती,
ख़ाकसे ढेर को कोई न टटोले, पर
यह दकह, यह जलन अयान लहर होती
- मुश्ताक़
मुक़ाबला रहा है
मुक़ाबला रहा है मेरा हालात के साथ,
और हादसा क्यों न हो सदमात के साथ,
हरफ़न मौला हर खु खुश,
यह कफ़िला क्यों न हो बरसात के साथ
- मुश्ताक़
और हादसा क्यों न हो सदमात के साथ,
हरफ़न मौला हर खु खुश,
यह कफ़िला क्यों न हो बरसात के साथ
- मुश्ताक़
तेरी गोद में
चाँद मेरी उंगली पकडे चलता है,
सितारे पीछे हो जाते हैं,
बदन चमन सारा बन जाता है,
चहरा बाग़ जैसे महकता है,
ग़म सारे धुआँ हो जाते हैं,
दर्द के बादल छँट जाते हैं,
तेरी गोद में सर रखते ही -
सारा आलम जन्नत हो जाता है.
आशिक़ा 'तन्हा'
सितारे पीछे हो जाते हैं,
बदन चमन सारा बन जाता है,
चहरा बाग़ जैसे महकता है,
ग़म सारे धुआँ हो जाते हैं,
दर्द के बादल छँट जाते हैं,
तेरी गोद में सर रखते ही -
सारा आलम जन्नत हो जाता है.
आशिक़ा 'तन्हा'
उस्ताद और शागिर्द
यह शागिर्द ने साज़ छेड़ा:
ए महबूब यह क्या इनसाफ़ तूम्हारा,
ज़रा सी गुस्ताख़ी की सज़ा
इस वफ़ा-ए-ज़िन्दगी को मिली|
- रामेश
यह उस्ताद ने अलाप, जोड़, झाला पेश किया:
जानेमन, ज़रा सी ग़ाफ़िलियत के आवेज़ में
वफ़ा-ए-ज़ीस्त का खात्मा,
वाक'ई संगदिल सनम हो तुम!
माना कि ज़रा सी की हमने गुस्ताख़ी,
पर जुर्माना वफ़ा-ए-ज़ीस्त,
ए पत्थर के सनम?
मेरी मासूम ग़लती और आपके ख़ौफ़नाक ज़लज़ले
अपनी नादानियत से लिपटकर काँप रहा हूँ मैं
हुई हमारी ज़रा सी चूक,
आई तुम्हारी सज़ा-ए-दुख
ए संगदिल सनम,
गई हमारी पशेमनी झुक
वफ़ा से लब्रेज़ मेरा जनम,
दया से परहेज़ मेरे सनम,
ज़रा सी चूक जाने अनजाने और,
सज़ा हैरत अंगेज़, फूटे करम!
मेरी महीन सी ग़लती और
सर कलम करने पर
उतर आते हैं वह,
उनकी हर ख़ता
महज़ एक अन्दाज़ है
- मुश्ताक़ अली ख़ाँ बाबी
ए महबूब यह क्या इनसाफ़ तूम्हारा,
ज़रा सी गुस्ताख़ी की सज़ा
इस वफ़ा-ए-ज़िन्दगी को मिली|
- रामेश
यह उस्ताद ने अलाप, जोड़, झाला पेश किया:
जानेमन, ज़रा सी ग़ाफ़िलियत के आवेज़ में
वफ़ा-ए-ज़ीस्त का खात्मा,
वाक'ई संगदिल सनम हो तुम!
माना कि ज़रा सी की हमने गुस्ताख़ी,
पर जुर्माना वफ़ा-ए-ज़ीस्त,
ए पत्थर के सनम?
मेरी मासूम ग़लती और आपके ख़ौफ़नाक ज़लज़ले
अपनी नादानियत से लिपटकर काँप रहा हूँ मैं
हुई हमारी ज़रा सी चूक,
आई तुम्हारी सज़ा-ए-दुख
ए संगदिल सनम,
गई हमारी पशेमनी झुक
वफ़ा से लब्रेज़ मेरा जनम,
दया से परहेज़ मेरे सनम,
ज़रा सी चूक जाने अनजाने और,
सज़ा हैरत अंगेज़, फूटे करम!
मेरी महीन सी ग़लती और
सर कलम करने पर
उतर आते हैं वह,
उनकी हर ख़ता
महज़ एक अन्दाज़ है
- मुश्ताक़ अली ख़ाँ बाबी
Thursday, March 11, 2010
Monday, March 1, 2010
तराज़ू / ترازو
ज़िन्दगी के टेढ़े तराज़ू में
एक तरफ़ झूठ की बुनियाद पर खड़ी इमारतें
तो दूसरी तरफ़ क़तरे क़तरे को मॊहताज ईमान
मुश्ताक़
زندگی کے ٹیڑھے ترازو میں
ایک ترف جھوٹھ کی بنیاد پر کھڑی یمارتےں
تو دوسری ترف قترے قترے کو محتاج ایمان
مشتاق
एक तरफ़ झूठ की बुनियाद पर खड़ी इमारतें
तो दूसरी तरफ़ क़तरे क़तरे को मॊहताज ईमान
मुश्ताक़
زندگی کے ٹیڑھے ترازو میں
ایک ترف جھوٹھ کی بنیاد پر کھڑی یمارتےں
تو دوسری ترف قترے قترے کو محتاج ایمان
مشتاق
तराज़ू / ترازو
ज़िन्दगी के टेढ़े तराज़ू में
एक तरफ़ आपके झूठे वायदे
दूसरी तरफ़ यह झुलसती प्यास
मुश्ताक़
زندگی کے ٹیڑھے ترازو میں
ایک ترف آپکے جھوٹھے وایدے
دوسری ترف یہ جھلستی پیاس
مشتاق
एक तरफ़ आपके झूठे वायदे
दूसरी तरफ़ यह झुलसती प्यास
मुश्ताक़
زندگی کے ٹیڑھے ترازو میں
ایک ترف آپکے جھوٹھے وایدے
دوسری ترف یہ جھلستی پیاس
مشتاق
तूफ़ानों से पेश्तर / توفانوں سے پیشتر
आजिज़ आ गए हम आपकी ख़ामोशी से
कहीं यह तूफ़ानों से पेश्तर सुकून तो नहीं?
मुश्ताक़
آجز آ گئے ہم آپکی خاموشی سے
کہیں یہ توفانوں سے پیشتر سکون تو نہیں
مشتاق
कहीं यह तूफ़ानों से पेश्तर सुकून तो नहीं?
मुश्ताक़
آجز آ گئے ہم آپکی خاموشی سے
کہیں یہ توفانوں سے پیشتر سکون تو نہیں
مشتاق
इल्ज़ाम / الزام
'तन्हा' मिलते ही बेईमान हो जाते हैं इरादे उनके,
जो इस शराफ़त से इल्ज़ाम मेरी बेगुनाह गर्म साँसों पे लगाते हैं
आशिक़ा 'तन्हा'
‘تنہا‘ ملتے ہی بےایمان ہو جاتے ہےں ارادے انکے
جو اس شرافت سے الزام میری بیگناہ گرم سانسوں پے لگاتے ہےں
آشقا ‘تنہا‘
जो इस शराफ़त से इल्ज़ाम मेरी बेगुनाह गर्म साँसों पे लगाते हैं
आशिक़ा 'तन्हा'
‘تنہا‘ ملتے ہی بےایمان ہو جاتے ہےں ارادے انکے
جو اس شرافت سے الزام میری بیگناہ گرم سانسوں پے لگاتے ہےں
آشقا ‘تنہا‘
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