ज़हर घोल दिया तुमने ज़ीस्त की आँत-बाँत में,
के कब था मुझे भरोसा यूँ फिरका या जात पात में,
आज जब आदमी को भी नहीं मयस्सर इनसान होना,
अब भला और क्या कहूँ बढ़कर इससे ख़ास बात मैं?
- मुश्ताक़
ज़ीस्त - life
आँत-बाँत - warp & weft
फ़र्क़ों - sects
मयस्सर - loss of skill or ability
Tuesday, August 2, 2011
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