यदि स्थान प्राप्त होता तुम्हारी जीवनमाला में,
न पूछते कभी तुम श्वेत क्यों और क्यों काला मैं,
यदि यह प्रेमवार्ता में सूक्ष्म तथ्य भी होता
न होती तुम रसोईघर की राणी
और न घुलता मैं मधुशाला में
- मुश्ताक़
Sunday, July 31, 2011
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